अब हल्‍दी के गुणों पर रीझी दुनिया

अब हल्‍दी के गुणों पर रीझी दुनिया

सेहतराग टीम

भारतीय मसालों का डंका हजारों साल से पूरी दुनिया में बजता रहा है। भारतीय खाने को बेहद मसालेदार करार देकर आधुनिक चिकित्‍सा विज्ञान हमेशा मसालों के कम इस्‍तेमाल की सलाह देता है। डॉक्‍टर भी यही कहते हैं कि तेल मसालों से दूरी बनाए रखें। मगर हाल के दिनों में कई अध्‍ययनों ने साबित किया है कि कुछ भारतीय मसाले बेहद गुणकारी हैं और इनका रोजाना इस्‍तेमाल कई बीमार‍ियों में लाभ पहुंचाता है।

इस कड़ी में सेहतराग पर हम पहले दालचीनी, अलसी के बीज आदि के गुणों और इनके बारे में हुए अध्‍ययनों की जानकारी दे चुके हैं। अब विदेशी शोधकर्ताओं ने हल्‍दी के लाभकारी गुणों पर भी मुहर लगा दी है। वैसे तो आदि काल से भारत में हल्‍दी का इस्तेमाल प्राकृतिक एंटीसेप्‍टीक के तौर पर होता रहा है मगर अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हल्‍दी का सत्‍व कैंसर कोशिकाओं को नष्‍ट करने में बेहद कारगर है।

भारतीय मसालों का अहम हिस्सा हल्दी का सत्‍व आसानी से घुल कर ट्यूमर तक पहुंच जाता है और कैंसर कोशिकाओं को खत्म करता है। प्राकृतिक चिकित्‍सा में हल्दी का काफी महत्व है और बिना पके मांस या अन्‍य भोजन में रोगाणुओं को खत्म करने में यह बेहद कारगर है।
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हल्दी से अलग किए जाने वाले और प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का एक प्रभावी एजेंट है। यूनिवर्सिटी ऑफ इलीनोइस में एसोसिएट प्रोफेसर दीपांजन पान ने बताया कि अब तक करक्यूमिन का पूरा फायदा नहीं उठाया जा सका था क्योंकि यह पानी में पूरी तरह नहीं घुल पाता।

पान के साथ काम करने वाले पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ता संतोष मिश्रा ने कहा, ‘दवा देने के लिए यह जरूरी है कि वह पानी में घुलनशील हो, अन्यथा यह खून के साथ मिलेगी नहीं।’ अमेरिका में यूटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं समेत अन्य शोधकर्ताओं ने प्लेटिनम की मदद से ऐसी प्रक्रिया तैयार की है जो करक्यूमिन की घुलनशीलता को संभव बनाती है। इस प्रक्रिया के जरिये अब कैंसर के इलाज में हल्‍दी की भूमिका बढ़ जाएगी। यानी भारत के मसालों का ऐतिहासिक महत्‍व भविष्‍य में भी बना रहेगा।

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